Kahani Saraswati aur Sanskar ki - 1 in Hindi Fiction Stories by Hemant Sharma books and stories PDF | कहानी सरस्वती और संस्कार की - 1

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कहानी सरस्वती और संस्कार की - 1

कहानी सरस्वती और संस्कार की
एपिसोड 1
मिलिए संस्कार शर्मा से

(यह एक काल्पनिक कहानी है इसके सभी पात्र और स्थान भी काल्पनिक हैं। अगर इस कहानी में किसी की भी बातों से आपको कष्ट पहुंचे तो उसके लिए मैं माफी चाहूंगा।)

~~एससीबीएस इंटर कॉलेज(काल्पनिक नाम)~~

उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित इस कॉलेज में आज बहुत भीड़ और चारों तरफ डेकोरेशन हो रही है क्योंकि आज यहां आईएएस ऑफिसर संस्कार शर्मा जो आ रहे हैं। संस्कार ने इसी कॉलेज से अपनी 11th, 12th और अपनी ग्रेजुएशन की थी। आज उसके आईएएस ऑफिसर बनने पर कॉलेज में उसके लिए एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया है।

सभी बच्चे कॉलेज में एक–दूसरे से इसी बारे में बातें कर रहे थे। तभी उन सब के सामने सिंपल सफेद शर्ट और ब्लैक कलर का पेंट पहने 42–43 साल की उम्र वाले एक टीचर मिस्टर आनंद शुक्ला आए। उन्होंने सामने स्टेज पर खड़े होकर सभी स्टूडेंट्स से कुछ कहना शुरू किया।

मिस्टर शुक्ला ने अपनी तेज पर शांत लहजे वाली आवाज में कहा, "स्टूडेंट्स! जैसा कि आप सभी को पता ही कि आज का ये फंक्शन किस वजह से रखा गया है! आज हमारे कॉलेज में संस्कार शर्मा आने वाले हैं। उन्होंने हमारे इसी कॉलेज से अपनी एजुकेशन कंप्लीट की थी और आज आईएएस ऑफिसर बनकर हमारे कॉलेज का नाम रोशन कर दिया है।"

मिस्टर शुक्ला की बात पर सभी स्टूडेंट्स ने तालियां बजा दीं।

मिस्टर शुक्ला ने आगे उसी लहजे में कहा, "शायद आप लोगों को मेरी ये बात झूठ लगे पर सच बताऊं तो संस्कार मेरे फेवरेट स्टूडेंट्स में से एक था। वो सिर्फ पढ़ाई में ही ब्रिलियंट नहीं था बल्कि अपने आचरण से भी वो सबका दिल जीत लेता था। सच बताऊं तो आज सबसे ज्यादा गर्व उसके माता–पिता के बाद मुझे ही हो रहा है।"

कहते–कहते उनकी आंखों में आंसुओं ने अपनी जगह बना ली। चुपके से उन्होंने अपने आंसुओं को साफ किया और आगे कहा, "कुछ ही देर में संस्कार यहां आने ही वाला होगा। सभी लोग तैयार हो जाइए।"

तभी अचानक से एक गाड़ी तेजी से कॉलेज की तरफ आई। उसकी आवाज सुनकर सभी लोग खुश होकर उस तरफ देखने लगे लेकिन उनकी खुशी एक पल में गायब हो गई जब उन्हें पता चला कि उस गाड़ी में संस्कार नहीं बल्कि कोई गेस्ट है जो खुद संस्कार से मिलने आया था।

उसी टाइम पर एक चपरासी अंदर से आया और उसने मिस्टर शुक्ला के कान में कुछ कहा जिसे सुनकर मिस्टर शुक्ला का चेहरा उदास हो गया और उन्होंने सभी बच्चों का ध्यान अपनी तरफ करके कहा, "बच्चों! मैं आप सभी से संस्कार की तरफ से माफी मांगना चाहता हूं।"

मिस्टर शुक्ला की बात स्टूडेंट्स की कुछ समझ में नहीं आई जोकि परेशानी का रूप लेकर उनके चेहरे पर साफ–साफ दिखाई दे रही थी।

मिस्टर शुक्ला ने उनके चेहरे पर आई परेशानी को दूर करते हुए कहा, "संस्कार को आज थोड़ा काम आ गया है इसलिए वो... आज... नहीं आ पाएगा।"

ये बात सुनकर तो सभी एकदम चौंक गए और एक–दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे। ये बात जानते हुए कि अब कोई कुछ नहीं कर सकता, सभी स्टूडेंट्स अपनी–अपनी क्लासेज में चले गए। बस एक ही इंसान था जो अभी भी अपनी जगह पर वैसे ही खड़ा हुआ था और वो थे मिस्टर शुक्ला।

मिस्टर शुक्ला ने उदास दिल के साथ खुद से ही धीरे से सवाल किया, "क्यों नहीं आए तुम, संस्कार? कितना इंतजार कर रहे थे सभी बच्चे और टीचर्स तुम्हारा.... और मैं भी।" कहकर मिस्टर शुक्ला मुड़ने को हुए कि अचानक से उन्हें एक आवाज आई, "शुक्ला सर!"

इस आवाज को सुनकर मिस्टर शुक्ला के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ आई और उनके मुंह से एक शब्द निकला, "संस्कार!"

जैसे ही मिस्टर शुक्ला उस और पलटे जिधर से आवाज आई थी तो वहां एक लड़का खड़ा था। उम्र– 22 साल, कद–6 फुट, सांवला रंग, काली आंखे, सलीके से सेट किए गए काले बाल। नेवी ब्लू कलर का थ्री पीस सूट पहने वो ऐसा जंच रहा था कि कोई भी लड़की उसकी तरफ देखे तो देखती ही रह जाए। उसके चेहरे पर आई प्यारी सी मुस्कान उसके रूप को और भी ज्यादा निखार रही थी।

संस्कार ने दौड़कर मिस्टर शुक्ला के पैर छुए तो उन्होंने संस्कार को अपने गले से लगा लिया। उनकी आंखों की कोरों से आंसुओं की बूंदे बह आईं जो संस्कार को अपने कंधे पर महसूस हुईं।

संस्कार ने उनके गले लगे हुए ही कहा, "सर! मैं यहां आपको खुश देखने के लिए आया था, आपको रुलाने नहीं।"

मिस्टर शुक्ला ने संस्कार से अलग होते हुए कहा, "अरे पगले! ये तो खुशी के आंसू हैं।" कहकर उन्होंने अपने आंसुओं को पोंछ लिया।

ये बात सुनकर संस्कार के चेहरे पर फिर से मुस्कान आ गई।

अचानक से मिस्टर शुक्ला को याद आया कि संस्कार का आना तो कैंसल हो गया था तो फिर वो कैसे आ गया! इसी बात का जवाब मांगने के लिए मिस्टर शुक्ला ने संस्कार से पूछना चाहा पर उससे पहले ही संस्कार ने कहा, "मैं जानता हूं कि आप ये सोच रहे होंगे कि मैं यहां कैसे आ गया जबकि मैंने तो आने के लिए मना कर दिया था।"

मिस्टर शुक्ला ने संस्कार की बात पर हां में गर्दन हिला दी।

तो संस्कार ने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा, "अरे, सर! मैंने फोन पर आईएएस ऑफिसर संस्कार शर्मा के न आने के बारे में कहा था, न कि संस्कार के बारे में।"

मिस्टर शुक्ला के चेहरे पर आश्चर्य के भावों को देखकर संस्कार ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा, "सर! आज आपके सामने आईएएस ऑफिसर संस्कार शर्मा नहीं बल्कि आपका स्टूडेंट संस्कार शर्मा खड़ा है।"

उसकी बात सुनकर मिस्टर शुक्ला ने कॉलेज गेट की तरफ देखा और फिर चौंककर संस्कार से पूछा, "मतलब तुम अपने साथ किसी को नहीं लाए?"

संस्कार ने मुस्कुराके जवाब दिया, "नहीं, क्योंकि मैं आज अपने कॉलेज में आया हूं एक स्टूडेंट बनकर तो मुझे वो लम्बी–लम्बी गाड़ियों की और पुलिसवालों की क्या जरूरत है!"

संस्कार की बात सुनकर मिस्टर शुक्ला के चेहरे पर गर्व भरी मुस्कान आ गई। उन्होंने संस्कार से कहा, "तुम्हारी ईमानदारी और पढ़ाई के प्रति निष्ठा तो मैने पहले ही देखी थी पर आज तुम्हें इस पोजीशन पर होने के बाद भी कोई घमंड नहीं है इस बात से तो मेरा सीना गर्व से और भी ज्यादा चौड़ा हो गया है।"

संस्कार मिस्टर शुक्ला की बात को सुनकर उनके गले से लग गया।

संस्कार ने बात घुमाने के इरादे से बोला, "अरे, सर! आप भी क्या बातें लेकर बैठ गए! अब हम लोग यहीं बातें करेंगे या अंदर जाकर बाकी सब से भी मिलेंगे?"

संस्कार की बात पर दोनो ही मुस्कुरा दिए। मिस्टर शुक्ला ने कहा, "हां, बिलकुल। तुम्हे कैसे रोक सकता हूं? तुम्हारे इंतजार में तो ये सब डेकोरेशन और एक्साइटमेंट है।"

फिर मिस्टर शुक्ला ने संस्कार को अंदर चलने का इशारा किया। दोनों जाने ही लगे कि संस्कार को कुछ याद आया तो उसने मिस्टर शुक्ला से कहा, "सर! आप चलिए मैं अभी एक कॉल करके आता हूं।"

शुक्ला सर ने हां में सिर हिलाकर जाने के लिए परमिशन दे दी। मिस्टर शुक्ला अंदर की तरफ चले गए और संस्कार तेजी से भागकर बाहर आया और अपने फोन में कॉन्टैक्ट्स लिस्ट में से शिवू नाम के शख्स को फोन लगा दिया।


कौन है ये शिवू और आखिर क्यों था संस्कार इतनी हड़बड़ी में? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।

कृपया समीक्षा देकर मुझे प्रोत्साहित करें और कोई त्रुटि होने पर भी अवगत कराएं।

–हेमंत शर्मा